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Why is the Indian Rupee falling against the US Dollar?
हेलो दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं क्यों भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले गिर रहा है। दोस्तों पिछले कुछ दिनों से रुपया लगातार गिरता जा रहा है। ऐसा पहली बार हुआ है कि Indian Currency Dollar के मुकाबले गिरकर 80 के पार चला गया है।
हम सभी जानते हैं रूपया का गिरना हमारी Economy के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। लेकिन रूपया के गिरने से क्या प्रभाव पड़ता है, इसके बारे में बहुत कम लोगों को पता होता है। आखिर रूपया लगातार क्यों गिर रहा है और गिरने से हमारे लाइफ पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है। क्या इसके गिरने के सिर्फ नुकसान है या कुछ फायदे भी देश को मिलता है। चलिए समझते हैं इन सभी टॉपिक को।
दोस्तों सबसे पहले जानने की कोशिश करते हैं कि रुपया क्यों गिरता है। रूपया गिरने के बहुत सारे कारण होते हैं जिनमें से कुछ प्रमुख कारणों के बारे में हम जानेंगे।
1) Foreign Reserves
Foreign Reserves यानी विदेशी मुद्रा भंडार। एक देश की विदेशी मुद्रा भंडार जितना कम होगा उस देश की Currency Depreciation उतना ही ज्यादा होगा। पिछले साल तक इंडिया में Foreign Reserve $635 बिलियन डॉलर थे जो अब घटकर $580 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। यानी एक साल में फॉरेन रिजर्व में गिरावट देखने को मिली है।
आज दुनिया के ज्यादातर देश अपने Foreign Reserve में Doller के रूप में ही करेंसी रखते हैं क्योंकि डॉलर से ही दुनिया के ज्यादातर देश व्यापार या बिजनेस करते हैं और Doller की वैल्यू भी कम होने का खतरा नहीं रहता है।
2) Crude Oil
इंडियन करेंसी के गिरने का दूसरा कारण है इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड आयल के प्राइस में बढ़ोतरी होना है। Russia Ukraine War के शुरू होने के बाद Indian Currency 5 परसेंट गिर गया है। ये आकड़ा ऊतना भी खराब नहीं है क्योंकि इस युद्ध के कारण बाकी देशों की करंसी 8 पर्सेंट तक गिर गई है। असल में Crude Oil के Price बढ़ने के कारण इंडिया को ज्यादा रकम चुकानी पड़ती है-
जैसे मान लीजिए एक लाख Dollar का Crude Oil इंडिया ने Import किया इसके लिए पहले इंडिया को 70 लाख रुपए देने पड़ते थे लेकिन अब 80लाख रुपए देने पड़ रहे हैं। और ये भुगतान डॉलर में ही करना पड़ता है। जिसे भारत के रिजर्व में रखा हुआ डॉलर देश के बाहर जाता है और रुपया डॉलर के मुकाबले और कमजोर होता जाता है।
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डॉलर के मुकाबले रुपया के कमजोर होने का एक और प्रमुख कारण है और वह है ट्रेड डिफिसिट। भारत हर साल दुनिया के अलग-अलग देशों से अलग-अलग सामान इंपोर्ट करता है और बहुत सारे सामान अपने देश से दूसरे देश में Export करता है लेकिन Import के तुलना में भारत बहुत कम सामान Export कर पाता है। इसे ही ट्रेड डिफिसिट कहा जाता है।
यानी इंडिया अन्य देशों से ज्यादा सामान खरीदता है और कम सामान बेच पा रहा है। इससे देश में रखा डॉलर बाहर जाता है और कम डॉलर वापस आता है साल 2021-2022 में भारत का ट्रेड डिफिसिट बढ़कर $189 Billion-Dollar पहुंच गया है और यह बढ़ता ही जा रहा है।
4). External Debt
इंडिया और इंडियन कंपनी कई बार विदेशी संस्थाओं से Debt (कर्ज) लेती है आज के टाइम में इंडिया का कुल विदेशी कर्ज $621 Billion-Dollar है। हालांकि गवर्नमेंट ने ये Loan Long Time के लिए लिया है लेकिन कुछ Short Term Loan भी इंडिया ने लिया है। इस साल का शॉर्ट टर्म लोन 267 बिलीयन डॉलर है यानी इतने पैसे बाहर चले जाएंगे। भारत में बहुत सारी विदेशी कंपनियां इन्वेस्ट करती रहती है जिससे भारत यह कर्ज आसानी से चूका लेता है।
Who decide the Values
दोस्तों ऐ सब तो वो कारण है जिससे भारतीय रुपया कमजोर हो रहा है लेकिन शायद आप सोच रहे हैं कि रुपया का कीमत आखिर तय कैसे किया जाता है। असल में दोस्तों यह सारा खेल डिमांड और सप्लाई का है यानी मुद्रा का डिमांड बढ़ेगा तो उसकी कीमत भी बढ़ेगा, लेकिन वही उसकी डिमांड में कमी आएगी तो कीमत भी कम होगी। आज पूरी दुनिया में डॉलर की डिमांड है जिससे डॉलर की कीमत बढ़ती रहती है।
How India can Increase the value of Rupee.
अगर भारत को रुपया मजबूत करना है तो इंपोर्ट को कम करना होगा और एक्सपोर्ट बढ़ाना होगा, इसके अलावा भी और कई तरीके हैं जिससे रुपया मजबूत हो सकता है- जैसे अगर रिजर्व बैंक मार्केट में डॉलर का Flow बढ़ा देता है तो रूपया अपने आप मजबूत हो जाएगा क्योंकि अब मार्केट में डिमांड से ज्यादा सप्लाई हो जाएगी। लेकिन इसका साइड इफेक्ट घातक होगा और इन्फ्लेशन यानी महंगाई बढ़ जाएगी। इंपोर्ट कम करने से भारत में बहुत सी चीजों की कमी हो जाएगी।
भारतीय मुद्रा कमजोर होने से हमारे ऊपर क्या प्रभाव पड़ेगा?
भारतीय रुपया कमजोर होने से देश के भीतर कई चेंज देखने को मिलेगा रुपया जितना ज्यादा कमजोर होगा उतना ही महंगाई भारत में बढ़ेगी क्योंकि रुपया कमजोर होने से कच्चे तेल खरीदने के लिए भारत को ज्यादा पैसे चुकाने पड़ेंगे और जब तेल की कीमतें बढ़ेंगी तो ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट बढ़ेगा जिसकी वजह से सभी चीजें महंगी हो जाएंगी ।
- वहीं भारतीयों के लिए विदेश में घूमना महंगा हो जाएगा क्योंकि विदेशों में जाकर विदेशी मुद्रा डॉलर खरीदने के लिए ज्यादा पैसे चुकाना चुकाने पड़ेंगे।
- विदेश में पढ़ने वाले छात्रों को ज्यादा पैसे चुकाने होंगे। भारतीयों के लिए जो कॉलेज की फीस है वह Costly हो जाएगी भले ही कॉलेज अपनी Fees में बढ़ोतरी ना करें।
- जैसे मान लीजिए किसी कॉलेज का फीस $1000/ मंथ है वही पहले उसे ₹70000 देने पड़ते थे लेकिन अब ₹80000 देने पड़ेंगे क्योंकि रुपया पहले से कमजोर हो चुका है।
Benefits of Currency Depreciation
ऐसा नहीं है कि रुपया कमजोर होने से खाली नुकसान ही है कुछ फायदे भी हैं चलिए समझते हैं भारत के स्पोर्ट रेट में बढ़ोतरी होगी क्योंकि अन्य देशों के लिए अब भारत से सामान खरीदना सस्ता होगा इसी कारण देश के व्यापारियों को ज्यादा फायदा होगा।
- भारत में जो निवेश के अवसर है वह बढ़ेंगे।
- रुपया के कमजोर होने से विदेशी कंपनियों के द्वारा भारत में कंपनी और Manufacturing Unit Setup करना सस्ता पड़ेगा ।
- और वे लोग डॉलर को इंडियन करेंसी में कन्वर्ट करके रुपया में सैलरी देंगे तो वह भी सस्ता पड़ेगा।
- भारत के टूरिज्म सेक्टर में बढ़ोतरी हो सकती है। Foreigners के लिए इंडिया में घूमना सस्ता पड़ेगा और विदेशी सैलानी यहां पर खुलकर पैसा खर्च कर पाएंगे क्योंकि ऐसा करना उनके लिए सस्ता होगा।
How can India Stop Falling Rupee?
भारतीय रुपया को और गिरने से कैसे रोका जा सकता है इसके लिए भारत सरकार और रिजर्व बैंक ने मिलकर एक पूरा प्लान तैयार किया है। भारत ऐसी योजना बना रहा है जिससे अन्य देशों के साथ व्यापार रुपए में करें ना कि डॉलर में यानी भारत अन्य देशों को पेमेंट रूपया में करेगा और Export के बदले में उन्हें Indian Rupee या उस देश की करेंसी Expect करेगा ।
इंडिया मसाला,खाद्य पदार्थ और बहुत से वस्तुओं का मुख्य एक्सपोर्टर है ऐसे में भारत अगर अपनी जिद पर अड़ जाए और सख्त नियम लागू कर दें तो मजबूरन अन्य देशों को भारत के आगे झुकना पड़ेगा और रुपए में इंटरनेशनल ट्रेड करना होगा।
अगर आप सोच रहे हैं कि इससे फायदा क्या होगा असल में ऐसा करने से भारत की डॉलर पर डिपेंडेंसी कम हो जाएगी।
अभी रूस ने इसी टेक्नीक से अपनी करेंसी मजबूत किया है। रूस ने सभी यूरोपियन कंट्री से कह दिया है कि अगर उन्हें तेल चाहिए तो व्यापार रूस की करेंसी यानी रूबल में ही करना पड़ेगा।
इस साल मार्च के शुरूआत में रूस का रुबेल डॉलर के मुकाबले काफी कमजोर हो गया था लेकिन 4 महीने के भीतर ही रूस ने अपनी करेंसी 60 परसेंट Strong कर लिया और ऐसा सिर्फ रूस के सख्त रवैया के कारण ही हो पाया। रूस ने डॉलर में व्यापार करना लगभग पूरी तरह से बंद कर दिया है।
अगर भारत सरकार भी डॉलर पर निर्भरता कम कर दे तो रुपया फिर से मजबूत हो सकता है फिलहाल तो डॉलर की कीमत ₹80 तक पहुंच गई है कई बड़े इकोनॉमिक्स का कहना है साल 2030 तक रुपया 100 तक गिर जाएगा।
तो क्या ऐसा होने से देश गरीब हो जाएगा- जी नहीं किसी भी देश का Currency Depreciate होने से वह देश गरीब नहीं हो जाता है।
For Example जापान की करेंसी भारत की करेंसी के मुकाबले कमजोर है लेकिन आज जापान दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है इससे यह समझ आ रहा हैं कि किसी देश के अमीर गरीब होने से मुद्रा पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है लेकिन हां महंगाई, इंपोर्ट -एक्सपोर्ट पर इसका सीधा असर पड़ता है।
तो दोस्तों आज आप भी समझ गए होंगे क्यों इंटरनेशनल मार्केट में भारतीय मुद्रा गिर रहा है और इसका क्या प्रभाव देश के लोगों पर पड़ता है। उम्मीद करते हैं आपको इस आर्टिकल को पढ़कर अच्छा लगा होगा अगर आपका कोई सवाल है तो कमेंट करके पूछ सकते हैं ।






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